देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई नगर
- देवांगन परिवार ने घर की बहू को लक्ष्मी, बेटी को वैभव लक्ष्मी और पत्नी को महालक्ष्मी मानकर दिवाली में उनकी पूजा कर नारियों का बढ़ाया सम्मान
- परिवार के लोगों ने जरूरतमंद बच्चों को मिठाई और पटाखे बांटकर उनकी दिवाली भी खुशहाल बनाया
- आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि शास्त्रों में एवं भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का दर्जा दिया गया है। देवांगन परिवार ने इसे आचरण एवं व्यवहार में लाकर सराहनीय कार्य किया है
भिलाई। देवांगन परिवार ने नारी सम्मान की दिशा में नई पहल करते हुए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने घर की बहू को लक्ष्मी, बेटी को वैभव लक्ष्मी और पत्नी को महालक्ष्मी मानकर दिवाली में उनकी पूजा कर सम्मान बढ़ाया है। साथ ही परिवार के लोगों ने जरूरतमंद बच्चों को मिठाई और पटाखे बांटकर उनकी दिवाली भी खुशहाल बनाया। पटाखे पाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे।
समाज में नारी के महत्व को प्रतिपादित करने के उद्देश्य से देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई नगर के अध्यक्ष घनश्याम कुमार देवांगन ने दिवाली की रात में अपने घर पर पारंपरिक लक्ष्मी पूजन के पश्चात अपनी बहू, बेटी और पत्नी को सम्मान पूर्वक बैठाया और परिवार के सभी सदस्यों के सामने उनका आरती कर सम्मान किया। उन्होंने अपनी पुत्रवधु को लक्ष्मी, बेटी को वैभवलक्ष्मी एवं पत्नी को महालक्ष्मी की संज्ञा देते हुए उनपर अक्षत पुष्प की वर्षा कर उनका सम्मान किया और उपहार में द्रव्य भेंट किया। साथ ही उन्होंने अपने दोनों पुत्रों तथा पोता को कुबेर की संज्ञा देते हुए उनका भी सम्मान कर उपहार दिया।
समाज में इस तरह के अनूठे पहल के लिए छत्तीसगढ़ सर्व समाज संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मेघनाथ यादव ने देवांगन परिवार के इस कार्य की सराहना करते हुए इसे अनुकरणीय कदम बताया है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं अपने घर में इसकी शुरुआत करेंगे। अंचल के ख्याति प्राप्त विद्वान आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि शास्त्रों में एवं भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का दर्जा दिया गया है। देवांगन परिवार ने इसे आचरण एवं व्यवहार में लाकर सराहनीय कार्य किया है। भिलाई वरिष्ठ नागरिक महासंघ के अध्यक्ष पुरुषोत्तम साहू एवं महासचिव गजानंद साहू ने भी इसे नारी की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला कदम बताते हुए कहा कि इससे महिलाओं का सम्मान हमेशा बना रहेगा।
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी घनश्याम कुमार देवांगन ने अपने माता-पिता के निधन के पश्चात दशगात्र के कार्यक्रम के दौरान ही स्व. तुलाराम देवांगन स्मृति बालक छात्रवृत्ति एवं श्रीमती उर्मिला देवांगन स्मृति बालिका छात्रवृत्ति देने की शुरुआत कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया था।